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लेखनी प्रतियोगिता -17-May-2023



हे माधव मदनमुरारी
अब हरो कष्ट मेरे भारी
ये विनती सुनो हमारी
एक झलक दिखा दो प्यारी।

मैं दूर देश का वासी
तेरे दर्शन का अभिलाषी
हे करुणामय अविनाशी
हर लो मेरी ये उदासी।

ब्रज छोड़ कहीं न जाऊं
हर क्षण तुमको ही ध्याऊँ
यमुना में रोज नहाऊं
ब्रज की रज में रम जाऊं।

सन्तों के साथ रहूंगा
बस श्यामा श्याम कहूंगा
सब धूप और भूख सहूंगा
पर ब्रज में सदा रहूंगा।

ब्रज तज मैं स्वर्ग न जाऊं
हर जन्म यहीं पर पाऊं
सारी माया बिसराऊँ
गिरिराज का कण हो जाऊं।

विनती है तुमसे कान्हा
हमें छोड़ कभीं मत जाना
हमसे न नजर हटाना 
हमें अपनी शरण लगाना।




 

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4 Comments

बहुत ही सुन्दर

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Abhinav ji

18-May-2023 08:34 AM

Very nice 👍

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सुन्दर सृजन और अभिव्यक्ति

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